पत्रकारीय लेखन - पुनरावृति नोट्स 2

 CBSE कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक)

नाटक लिखने का व्याकरण


मुख्य बिन्दु-

पाठ परिचय: नाटक एक दृश्य विद्या है। इसे हम अन्य गद्य विधाओं से इसलिए अलग भी मानते हैं, क्योंकि नाटक भी कहानी, उपन्यास, कविता, निबंध आदि की तरह साहित्य के अन्तर्गत ही आता है। पर यह अन्य विधाओं से इसलिए अलग है क्योंकि वह अपने लिखित रूप से दृश्यता की ओर बढ़ता है। नाटक केवल अन्य विधाओं की भांति केवल एक आयामी नहीं है। नाटक का जब तक मंचन नहीं होता तब तक वह सम्पूर्ण रूप व सफल रूप में प्राप्त नहीं करता है। अतः कहा जा सकता है कि नाटक को केवल पाठक वर्ग नहीं दर्शक वर्ग भी प्राप्त है।

साहित्य की अन्य विधाएँ पढ़ने या फिर सुनने तक की यात्रा करती है, परंतु नाटक पढ़ने, सुनने और देखने के गुण को भी अपने भीतर रखता है।

नाटक के प्रमुख तत्व या अंग घटक इस प्रकार हैं :

  1. समय का बंधन,
  2. शब्द,
  3. कथ्य,
  4. संवाद,
  5. द्वंद (प्रतिरोध),
  6. चरित्र योजना,
  7. भाषा शिल्प,
  8. ध्वनि योजना,
  9. प्रकाश योजना,
  10. वेषभूषा,
  11. रंगमंचीयता।

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